देश में बनवासियों के कल्याण में सत्येंद्र सिंह और उनकी संस्था का काम सराहनीय : संजय टंडन
Welfare of Forest Dwellers in the Country is Commendable
चंडीगढ़ 12 दिसंबर,2024: Welfare of Forest Dwellers in the Country is Commendable: पूरे भारत के जनजाति क्षेत्रों में काम करने वाले स्वयंसेवी संस्था अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह द्वारा सम्पूर्ण भारत में प्रवास किया जा रहा है | आज उनका पंजाब प्रान्त के प्रवास के प्रथम दिवस पर चंडीगढ़ में प्रवास रहा इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और हिमाचल प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी संजय टंडन ने उनसे भेंटवार्ता की और विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की |
संजय टंडन ने अपनी और पत्नी प्रिया टंडन द्वारा लिखी लघु कथा संग्रह ‘Sunrays for Tuesday’ पुस्तक (हिंदी संस्करण) भेंट की और उन्हें शुभकामनाएं प्रदान की |
इस भेंटवार्ता के बारे में बताते हुए संजय टंडन ने कहा कि सामजिक संस्था और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह का बनवासी लोगों के को लेकर किये जा रहे कार्य सराहनीय हैं | ऐसे लोग जो निःस्वार्थ भाव से अन्तोदय पंक्ति में खड़े व्यक्तियों के उत्थान के बारे में सोचे विरले विरले ही होते हैं ,सत्येंद्र सिंह उनमे से एक हैं | उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन बनवासी लोगों के हितों, उनकी हकों, उनके आतम सम्मान, उनके संरक्षण , उनके उत्थान के लिए लगाया हुआ है और दिन रात ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लगाने में प्रयासरत हैं | उनका मार्गदर्शन एवं समाज के प्रति सेवा कार्य हम सभी के लिए अत्यंत प्रेरणादायक हैं।
इस भेंटवार्ता के दौरान सत्येंद्र सिंह ने आश्रम का साहित्य उन्हें भेंट किया और बताया कि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम हमारे वनवासी भाइयों के कल्याण के लिए भारत के जनजाति क्षेत्रों में काम कर रहा है। वनवासी कल्याण आश्रम भारत के 90% से अधिक जनजाति जिलों तक पहुंच गया है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और आर्थिक विकास आदि क्षेत्रों में परियोजनाओं के माध्यम से जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहा है। हम पर्यावरण संरक्षण, मानव संसाधन विकास, महिला सशक्तिकरण और खेल के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। हम सांस्कृतिक जागरूकता और जनजातियों के अधिकारों की सुरक्षा जैसी गतिविधियों में भी लगे हुए हैं। वनवासी कल्याण आश्रम (वीकेए) की स्थापना 26 दिसंबर 1952 को जशपुरनगर में वनयोगी बालासाहेब देशपांडे द्वारा की गई थी, आज हजारों कार्यकर्ता विपरीत परिस्थितियों के बावजूद समर्पण और समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। हम राष्ट्रीय जीवन के सभी पहलुओं में भारत को एक अनुकरणीय राष्ट्र के रूप में देखने का सपना देखते हैं।